Friday, April 15, 2011

Shraddha se ki mohabbat

           जिन्दगी एक पहेली है ऐसा सुन रखा था पर आज उस पहेली में उलझने का मौका मिल ही गया. न चाहते हुए भी पता नहीं क्यूँ लगातार उलझने की कोशिशें बढती जा रही थी...... उलझन सिर्फ इतनी की जिन्दगी ने किसी को अपने साथ अपना हमसफ़र बना कर रहने की ख्वाहिश पाल ली..... क्या ये ख्वाहिश गलत थी? जब मेरे दोस्त जिसे मै आपना ही नाम दे रहा हूँ.... अतुल ने मुझसे पूछा तो मै कुछ भी बता पाने में असमर्थ था..... अतुल ने जब मुझसे पुछा तो मै कुछ भी बता या समझ पाने में बिलकुल असहाय था.... उसका सवाल शायद सही था.... या गलत? मै नहीं समझ पाया....कहानी कुछ यूँ है की अतुल एक संसथान में परियोजना सहायक के रूप में कार्यरत था..... उसी दौरान एक परियोजना पर उसे कार्य करने का मौका मिला उसकी जिन्दगी में सब कुछ ठीक चल रहा था और परियोजना भी.... उस परियोजना में एक लड़की भी प्रतिभागी के रूप में आई थी. शांत स्वभाव, सबसे अलग दिखने वाला चेहरा और आम लड़कियों की तरह उछल कूद न मचाने वाली उसकी आदत ने उसे अलग पहचान दे रखी थी.... उसके घर वालों ने क्या सोच कर उसका नाम रखा था? पूर्ण-रूपेण अपने नाम को सार्थक करती थी वोह लड़की........ जिसका नाम श्रद्धा (काल्पनिक नाम) था.... पूरी तरह से अतुल के दिलो-दिमाग पर छा चुकी थी.... लेकिन अतुल उससे कुछ कह पता की उससे पहले ही परियोजना का समापन हो गया...  और प्रतिभागी अपने-अपने घरों को वापस लौट गये....
           समय बीतता गया और समय के साथ वो सपना भी धूमिल हो चुका था... लेकिन अतुल को क्या मालूम था की जिन्दगी उससे मजाक करने के लिए उस सपने को दुबारा उसके सामने लेकर आ जाएगी..... दूसरी परियोजना के लिए आये हुए प्रतिभागियों में वह लड़की श्रद्धा भी शामिल थी.... एक फिल्म के सिलसिले में अतुल और उसके दो दोस्तों को श्रद्धा के गाँव जाना पड़ा.... उस समय श्रद्धा के साथ उसकी सहेली निशा भी थी.....शूटिंग को लेकर सब बहुत खुश थे... होते भी क्यूँ न ये उनकी डिप्लोमा फिल्म जो थी..... सबने दिन भर जी तोड़ मेहनत करके काम किया... दोपहर का खाना श्रद्धा के ही घर हुआ.... शाम को काम खत्म करके जब वे लोग वापस लौटने लगे तो उसकी सहेली ने ये बोल कर मना कर दिया की उसे कल कुछ काम है... और वो आज नहीं आ पायेगी.... खैर वो सब वापस आ रहे थे... पर श्रद्धा बहुत ही परेशान दिख रही थी.... सबने उसे बहुत हँसाने की कोशिश की पर वो हँसी नहीं... खैर जैसे तैसे सफ़र ख़त्म हुआ और वो लो वापस कैम्पस आ चुके थे... दिन भर की चिलचिलाती धूप में काम करने और रस्ते में कोल्ड ड्रिंक पीने से उसके गला लगातार जकड़ता जा रहा था.... जिसे देख कर अतुल बहुत परेशान हो उठा था.... और रास्ते में रुक कर उसने श्रद्धा के लिए दवा ले ली थी.... वापस आने के साथ ही श्रद्धा की आँखों में आंसू को देख कर अतुल बहुत परेशान हो उठा था.... उसने पुछा तो वो बोली की घर वालों की याद आ गयी थी बस और कुछ नहीं.... रात में खाना खाने के बाद सब अपने-अपने रूम को चले गये.. पर उसे कहाँ सुकून मिलने वाला था... सपने को इतने करीब से देख पाने के लिए अतुल ने कभी सोचा भी न था ... और आज जब वो अतुल के इतने करीब थी तो उसकी आँखों में आंसू कैसे बर्दास्त कर पता... उसने रात में श्रद्धा को फोन किया और दवा खा लेने के लिए बोला..... उसकी इच्छाओं को मानते हुए उसने दवा खा भी लिया....  उन दोनों की बाते चलती रही और एक दिन अतुल ने अपने दिल की बात को श्रद्धा के सामने रख ही दिया पर श्रद्धा ने अतुल को कोई जवाब नहीं दिया.... उसी दौरान श्रद्धा की सहेली निशा भी आ गयी... आज वो बहुत खुश थी....दोनों ने खूब ढेर सारी बातें  की और शायद अतुल की भी बात हुई उन दोनों की बातों में..... अतुल जिसे निशा भाई मानती थी.... पर उसने भी सहेली का ही साथ दिया.... और आखिर ५ दिनों के इन्तजार के बाद उसे जवाब मिल ही गया....जिस जवाब की अतुल ने कल्पना पहले से ही कर रखी थी... अतुल ये सोच रहा था की यदि श्रद्धा ने हाँ कर भी दी तो क्या वो अपने प्यार को कभी अपना भी पायेगा या नही? कारण था की श्रद्धा की छोटी बहने जो अबी अभी पढाई ही कर रही थी.. अगर श्रद्धा ने शादी के लिए हाँ कर दिया तो क्या उसके घर वाले इस बात को मन जायेंगे? क्या समाज उसके परिवार वालों को सुकून से जीने देगा? लेकिन फिर भी अतुल ने अपने दिल की बात बोल ही दिया था.....दिल पर किसका जोर चलता है. शायद यही हुआ था अतुल के साथ.
              श्रद्धा का जवाब था की वो अतुल से प्यार नहीं कर सकती. कारण वही थे जो अतुल के दिल को पहले से झकझोर रहे थे... फिर भी अतुल ने अपने जज्बातों को, अपनी भावनाओं को दांव पर लगा कर श्रद्धा से प्यार किया था.... श्रद्धा के मना करने के बाद उन दोनों की दोस्ती न टूटे इस डर से अतुल ने एक झूठ बोला श्रद्धा से की वो उसे मुर्ख बना रहा था.... पर श्रद्धा को इस बात का विश्वास नहीं हो रहा था... फिर भी अतुल के कहने पर उसने विश्वास कर लिया... अतुल आज भी उससे बेपनाह मोहब्बत करता है...... शायद ये बात श्रद्धा अच्छी तरह से समझती है.... लेकिन दोनों एक दुसरे को दोस्त ही मानते हैं...... मुझे लगता है की अतुल ये भूल गया था की श्रद्धा दिल में रहती है... श्रद्धा भावनाओं में बसती है...... श्रद्धा होती तो अतुलनीय है पर श्रद्धा अतुल की नहीं हो पाई.... शायद श्रद्धा को पाना अतुल की किस्मत में नहीं था...... मै ये सोच रहा हूँ की ऊपर वाला फिर ऐसे लोगों से मिलवाता ही क्यूँ है जब वो मिल नहीं सकते...एक दूसरे के हो नहीं सकते?

2 comments:

  1. bhai maine isse pahle aapki koi v blog nahin parhi lekin suna tha ki aap bahut accha likhte hain. mere pass shabd nahin hai ki main aap ki is blog ke baare main kuch comment kar sakoo. lekin ek baat kahoonga ye blog dil se likhi aur dil ko choone wali blog hai...... i m so emotional after reading this blog. i could understand that how much do u love that girl.......

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  2. Aapne shayad ye nahi pdha ki mai maine apne dost ko apna naam diya hai......... Han woh us ladki se wastav me bahut pyar karta hai..... woh aapko reply nahi kar sakta siliye mai reply kar rha hun..... Thanks ki aapne ise parne ki jahmat uthai......

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