Saturday, December 03, 2011

कब तक उनके बेजांदिलों में अपनों के लिए हमदर्दी खोजते रहेंगे?


१९४७ भारत की आज़ादी के साथ-साथ भारत के दो टुकड़े.... जो की एक सियासी सोच का हिस्सा था.. एक को नाम दिया गया भारत और दूसरे को पाकिस्ता... भारत जिसका स्वरुप तैयार किया गया था सर्व धर्म सम्मान के हिसाब से, और दूसरे भाग जिसे  पाकिस्ता कहते हैं... को पूर्ण रूपेण मुस्लिम संप्रदाय के लोगों के लिए. स्वेच्छा से जो चाहे जहाँ चाहे रहने की बात को ध्यान में रखते हुए... लेकिन हिन्दू और मुस्लिम राष्ट्र होने के नाते कुछ सियासी लोगों ने अपनी सियासत के झंडे बुलंद करने के लिए स्वेच्छा की बात को दरकिनार करते हुए हिन्दू-मुस्लिम दंगे करा डाले... जिससे हिन्दू बहुतायत में भारत आ गए और मुस्लिम  पाकिस्ता की ओर पलायन कर गए... भारत में तो मुस्लिमों को भारतीय सरकार ने सारी सहूलियतें देते हुए अल्पसंख्यक के रूप आरक्षण भी दे दिया.... लेकिन पाकिस्ता में शायद ऐसा कुछ भी करने की जरुरत नहीं समझी पाकिस्तानी सरकार ने... जिसका खामियाजा आज तक लगभग 64 सालों बाद तक पाकिस्तानी हिन्दू भुगत रहे हैं.... 1972 में  पाकिस्ता के बटवारे के बाद जब पूर्वी  पाकिस्ता का निर्माण हुआ जिसे बंगला देश का नाम दिया गया... बंगला देश की कहानी भी कुछ ऐसी ही है... जैसे-जैसे समय बीता और लोगों को सियासत की चाल समझ में आयी उन्होंने अपने धर्म से सम्बंधित देशों की ओर रुख करना शुरू कर दिया... १९४७ से आज तक (2010) लगभग २ लाख से ज्यादा शरणार्थियों ने भारत में आ कर पनाह ली है.... और भारत सरकार ने भी उन्हें भारतीय संविधान के अनुरूप यहाँ का नागरिक बना दिया... जिनमे पाकिस्तानी, नेपाली, तिबत्ती, और बंगलादेशी आदि हैं.... जो की भारत की संस्कृति और विशाल ह्रदय का एक बहुत ही अच्छा उदाहरण है..... लेकिन एक बड़ी बिडम्बना यह रही की हमने नेपाल, तिब्बत से आये लोगों को शरणार्थी का नाम दिया तो अपने ही देश के दूसरे टुकड़े से आये लोगों को घुसपैठ की संज्ञा से नवाजा....... यह कहाँ तक जायज है?
हाल ही में पाकिस्तान से आये कुछ हिन्दू परिवारों से मेरी मुलाकत दिल्ली के पास मजनू के टीले के पास हुई.... जो देवरा बाबा के आश्रम पर रह रहे हैं...... उनसे बात करने पर पता चल की उनका वीजा ख़त्म हो गया है..... और भारतीय सरकार से हिन्दू होने की वजह से यहाँ की नागरिकता पाने की बात कर रहे हैं..... करण जो दुनिया के तानाशाह नहीं जानना चाहते..... आज़ादी के ६४ सालों के बाद भी आज पाकिस्तान में हिन्दू परिवार बधुआ मजदूरी को मजबूर है.... पाकिस्तान के सिंध प्रान्त के मुसलामानों ने आज भी वहाँ पर अपने घरों में जेल बना रखी है, जहाँ पर हिन्दुओं को रखा जाता है....  वे लोग इनसे दिन भर काम करवाते हैं और फिर शाम को इन्हें वँही उनके घर में बनी जेल में डाल दिया जाता है..... शादीशुदा औरतों को वहाँ पर सिंदूर लगाने की अनुमति वहाँ के मुसलमानों ने नहीं दी है.... घर से वे लोग हिन्दू लड़कियों को जबरदस्ती उठा ले जाते है और उनके साथ कुकृत्य करके उन्हें मुसलमान बनने पर मजबूर करते हैं इन्ही कारणों से पाकिस्तान के हिन्दू परिवार वाले अपनी बेटियों की शादी १२-१३ साल की उम्र में करने को मजबूर हैं.... और वे आपस के ही लोगों में शादी कर डालते हैं..... जो लोग स्वेच्छा से उनकी बात  मान लेते हैं उन्हें कुछ सुविधाए भी दी जाती हैं....  उन्होंने बताया की पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में अगर किसी हिन्दू के ज्यादा पैसा है तो वो लोग लूट पाट करके हिदुओं के पैसे ले लेते हैं अगर उनका बिजनेस अच्छा चाल रहा होता है तो उस पर जबरदस्ती कब्ज़ा भी कर लेते हैं....... और वहाँ का पुलिस प्रशासन भी उनकी एक नहीं सुनता....
हमारे यहाँ अगर किसी घर के घर कोई मौत होती है तो लोग दुखी होते हैं.... चाहे वह हिन्दू हो या मुसलमान.... किसी को भी अपनी सभ्यता और संस्कृति के अनुसार अंतिम क्रिया कर्म करने में कोई मनाही नहीं है.... लेकिन  पाकिस्तान में अगर कोई हिन्दू मरता है तो उससे हिन्दू संस्कृति के अनुसार जलाने नहीं दिया जाता, और लाश को दफ़नाने के लिए उस पर हमेशा दबाव बनाया जाता है..... शायद इन्ही वजह से आये हुए शरणार्थियों में किसी का बेटा यहाँ पर मर गया तो वो लोग बहुत खुश हुए और बोले हम कम से कम भारत में अपने बेटे को अपनी संस्कृति के अनुसार क्रिया-कर्म कर सकेंगे.....
पाकिस्तान में हिन्दू परिवारों पर हो रहे अत्याचार शायद किसी को दिखाई नहीं दे रहे हैं.... और न ही भारत सरकार, पाकिस्तानी सरकार से कोई बात करना चाहती है... इन हिन्दू परिवार को लेकर...
एक लोकतान्त्रिक और धर्म निरपेक्ष राष्ट्र होने नाते इन आये हुए हिन्दू परिवार को भारत में जगह तो मिलनी चाहिए.... लेकिन भारत भी कब तक लोगों को भारतीय नागरिकता बांटता रहेगा? कब तक पडोसी देश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार को देख कर नजरंदाज करता रहेगा? कब तक हम  पाकिस्तान से आये मुसलमानों को पनाह देते रहेंगे और उनके बेजांदिलों में अपनों के लिए हमदर्दी खोजते रहेंगे? कब तक किसी धार्मिक देश में अन्य धर्म के लोगों के खिलाफ अत्याचार होते रहेंगे? आज ६४ सालो बाद भी हम अपने ही कटे हुए हिस्से के लोगों को न्याय नहीं दिला पा रहे हैं और बात कर रहे हैं विश्व शांति की..... क्या ऐसे लोगों को जीने का कोई हक नहीं है जो किसी दूसरे धार्मिक देश में रह रहे हैं? 
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Atul Kumar
Mob. +91-9454071501, 9554468502

1 comment:

  1. कुछ सालों बाद ये हालात भारत में होने जा रहे है।

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