Thursday, January 09, 2025

विपक्ष की परिभाषा से अंजान है कांग्रेस

साथियों जय हिन्द... हम पढ़ते आए हैं कि विपक्ष की मुख्य भूमिका मौजूदा सरकार से सवाल पूछना और उन्हें जनता के प्रति जवाबदेह बनाना है। इससे सत्तारूढ़ दल को अपनी गलत नीतियों और गतिविधियों को सुधारने के लिए विवश होना पड़ता है। जिस कारण देश के लोगों के सर्वोत्तम हितों को बनाए रखने में विपक्ष भी समान रूप से जिम्मेदार है। लेकिन क्या आज ऐसा है? #विपक्ष क्या होता है और विपक्ष को कैसे काम करना चाहिए इस बात को गंभीरता से समझने के लिए हमको चलना होगा #यूपीए-2 के दौर में जब देश में #भारतीय_जनता_पार्टी और उसके सहयोगी दल जिसे #एनडीए के नाम से जाना जाता था और जब यही एनडीए विपक्ष में थी... उस #समय जनता से जुड़े छोटे से छोटे #मुद्दे पर उसके सारे बड़े-बड़े नेता सड़कों पर आंदोलन करते थे। कभी #गैस_सिलेंडर लेकर, कभी #प्याज ले कर तो कभी #पेट्रोल के बढ़ते दामों पर तो कभी #अरहर की दाल...तो कभी भ्रष्टाचार। #भाजपा द्वारा आयोजित ऐसे ही आन्दोलनों की वजह से लोगों को लगा ये हमारे #मुद्दे की बात करते हैं, जिसका परिणाम यह हुआ कि #2014 में इन्हें सरकार बना पाने में सफलता हासिल हुई और सारे तथाकथित आंदोलनकारी मंत्री बने... एक तो योगगुरु बनकर पूरा साम्राज्य बना डाला तो दूसरा कुंभकर्णी नींद में सो गया और कुछ बिजनेस ट्राईकून के रूप में पहचाने जाने लगे। लेकिन पिछले 10-11 वर्षों में #कांग्रेस को ले लीजिए... इनके सारे नेता सिर्फ #प्रेस_कांफ्रेंस करते हैं या बड़ी सभाओं में #भाषण देने के लिए मंच पर दिखाई देते हैं। जैसे #के _सी_वेणुगोपाल, #जय_राम_रमेश, #सुरजेवाला, #अलका_लांबा, #अधीर_रंजन_चौधरी, #अशोक_गहलोत, #अंबिका_सोनी, #मुकुल_वासनिक, #आनंद_शर्मा, #अजय_माकन, #कुमारी_शैलजा, #सलमान_खुर्शीद, #जितेंद्र_सिंह, #दीपक_बाबरिया जैसे सैकड़ों नेताओं की लंबी-चौड़ी लिस्ट है जिन्हें कभी भी जमीनी आंदोलन में जनता के हक के लिए लड़ते नहीं देखा गया... इसके इतर जब कांग्रेस सत्ता में आएगी तो यह सब मंत्री बनने के लिए सबसे पहली लाइन में खड़े दिखाई देंगे। इन सबने कांग्रेस की व जनता के हितों की, जन आंदोलन की सारी जिम्मेदारी #राहुल_गांधी को दे रखी है। आंदोलन कोई भी हो राहुल जाए, पीड़ितों से मिलने राहुल जाए, सड़क पर पैदल राहुल गांधी चले...यानी ये सिर्फ राहुल गांधी के सहारे सत्ता चाहते हैं। अगर ये नेता जनता से जुड़े छोटे से छोटे मुद्दे पर सड़कों पर उतर कर आन्दोलन करते या अब भी वक्त है करना आरंभ कर दें सिर्फ अपने-अपने ही क्षेत्र में तो राहुल गांधी की ताकत कम से कम 50 गुना अपने आप ही बढ़ जायेगी। लेकिन यह नेता वातानुकूलित कमरों से बाहर निकलना ही नहीं चाहते। अगर ऐसा ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब भारत की सरकार लालफीताशाही की तर्ज पर विपक्ष मुक्त हो जाएगी। याद रखो कांग्रेसियों राहुल गांधी अकेले सत्ता नहीं दिला सकते, जो हालत तुम लोगों की गलत नीतियों की वजह से आज कांग्रेस की है इससे भी कई गुना बुरी हालत में पहुंचाने का सेहरा भी तुम एक दूसरे के सिर पर बांधते नजर आओगे या फिर बिना किसी संकोच के दल परिवर्तित अपना उल्लू सीधा करते दिखाई दोगे। वर्तमान अध्यक्ष @मल्लिकार्जुन_खरगे और राहुल गांधी को अभी तक समझ क्यों नहीं आ रहा की कांग्रेस इन सब नेताओं के नकारापन की वजह से हार रही है। लेकिन ये दोनों कठोर निर्णय क्यों नहीं ले पा रहे हैं, यह अत्यधिक महत्वपूर्ण प्रश्न है। जहां तक हमारा मानना है कि इन सभी नाकारा नेताओं से ज्यादा बड़े जिम्मेदार राहुल गांधी और खरगे स्वयं हैं। अगर यह बैठक में यह निर्णय ले लें कि महीने में हर नेता को कम से कम 2 आन्दोलन करने ही करने हैं तो देश में जरूरी मुद्दों पर आन्दोलन चालू हो जायेंगे। सरकार को जनहित के काम करने ही पड़ेंगे। लेकिन ना तो राहुल गांधी ना खरगे किसी को कुछ मतलब ही नहीं रह गया। अगर यह नेता सड़कों पर उतर कर विपक्ष का असली काम नहीं करेंगे तो कभी सत्ता में वापस नहीं आ सकते। यह विपक्ष का राजधर्म है और इस परिपाटी को ही कहते हैं विपक्ष... समझे कांग्रेसियों।

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