भारत के लिए अभिशाप बनकर आया वह मनहूस जिसने वाडमेर रेलवे स्टेशन बनने से पहले ही चाय बेचनी शुरू कर दी थी वह भी दो रुपए में जब दिल्ली में 50 पैसे में भरपेट नाश्ता मिलता था। उसके इस झूठ पर हम भावनात्मक रूप से मुग्ध हो गये कि यह गरीब परिवार से है और बिना सत्य का आंकलन किये उसके झूठ को, उसके फरेब को सत्य मान बैठे, और अपने परिवार को, अपनी पत्नी को धोखा देने वाले को 2014 में सम्पूर्ण भारत की कमान दे दी और फिर मदारी ने वही राग अलापना, वही डमरू बजाना शुरू किया जिसके खिलाफ वह 2014 से पहले बोलता था। जिसने 2014 से पहले आधार को बकवास योजना बताई थी उसी को जरूरी करार दे दिया। जी एस टी के मूल स्वरूप को भ्रमात्मक व व्यवसायियों की कमर तोड़ने वाला बताया था उसको स्वीकार कर आर्थिकी स्थिति को मजबूत करने वाला बताकर जबरन थोप दिया। डीजल-पेट्रोल की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कीमतों के बढ़ने पर उससे पड़ने वाले अधिभार पर सरकार की विफलता बताने वाला आज पिछले सात वर्षों से मुंह में दही जमाकर बैठा है। मंहगाई कम करना जिसका नारा था अब वह मंहगाई के लिए बेचारा है। अपनी विफलताओं को पिछले 70 साल की जुमलेबाजी में लपेटकर वाहवाही लूटने वाले लूटेरे ने 70 सालों में बने सरकारी संस्थाओं को बेंचकर लूटने का काम किया और उल्टा सवाल करता है कि पिछले 70 सालों में नेहरू और कांग्रेस ने किया क्या है? इतिहास की मानें तो मुगलों ने मंदिरों को लूटा लेकिन इसने तो चौकीदार बनकर अपने आकाओं के साथ बैंकों को लूटा और फिर सरकारी संस्थाओं को बेंच डाला और अब वह...
✍️आजकल वह मैं देश नहीं बिकने दूंगा, जैसी खुबसूरत बातें नहीं करता।
✍️अब वह स्विस बैंकों में जमा काला धन जो अब डबल हो चुका है, पर बात नहीं करता।
✍️अब वो सब के खाते में 15-15 लाख रुपए आने की बात नहीं करता
✍️अब वह डॉलर के मुकाबले गिरते रुपए पर बात नहीं करता, अब वह जिस देश का रुपया गिरता है उस देश के प्रधानमंत्री की इज्जत गिरती है, ऐसी बातें नहीं करता।
✍️अब वह देश की गिरी हुई जी. डी. पी. पर मुंह नहीं खोलता, न अब वह देश में हो रहे बलात्कारों व अत्याचारो पर बात करता है।
✍️अब वो दागी मंत्रियों व नेताओं पर बात नहीं करता।
✍️अब वह महिलाओं की सुरक्षा व जमाखोरी पर बात नहीं करता।
✍️अब वह मिलावटखोरी पर बात नहीं करता, न अब वह रिश्वतखोरी पर बात करता है।
✍️अब वह स्मार्ट सिटी बनाने की बात नहीं करता, न ही अब वो बुलेट ट्रेन की बात करता है। अब तो वह अच्छे दिनों की भी बात नहीं करता।
✍️अब वह किसानों की आय दोगुनी करने की बात नहीं करते, अब तो वह बेरोजगारों को रोजगार देने की भी बात नहीं करते। अब वो सबको शिक्षा सबको रोजगार की बात भूल ही गये हैं।
✍️अब वह डीजल-पेट्रोल पर बात नहीं करते, गैस सिलेंडर के आए दिनों बढ़ते दामों पर तो बात ही नहीं करना चाहते!
✍️अब वह रेलवे व अन्य यातायात के साधनों पर बढ़ते किराए पर बात नहीं करता, वह हवाई चप्पल पहनने वालों को हवाई यात्रा कराने की भी बात नहीं करता।
✍️अब वह खाद्य पदार्थों पर बेहताशा बढ़ती महंगाई पर नहीं करता, अब वह बढ़ती हुई महंगाई पर मौन व्रत धारण किए हुए हैं।
✍️अब वह देश में बढ़ती बेरोजगारी पर बात नहीं करता। अब वह साल में 2 करोड रोजगार देने की बात नहीं करता।
✍️अब वह जनता को राहत देने की बात के लिए मुंह नहीं खोलते न ही अब वो सब को न्याय देने की बात करते हैं।
✍️अब वह चीन को लाल आंखें दिखाने की बात नहीं करते... अब तो वह एक के बदले 10 सिर लाने की बात भी नहीं करते।
सोचिए क्यों..? आखिर क्यों बात तक नहीं करते उन सभी मुद्दों पर जिनके बल पर देश की सर्वोपरि आसन पर बिठाया गया, आखिर क्यों? पहले भी उनकी कोई भी बात में गंभीरता न थी क्योंकि यह और इनका पितृ संगठन केवल भारत को साम्प्रदायिकता में झोंकने के लिए गंभीर रहा है। इनका मकसद सिर्फ सत्ता सुख हासिल करना है, वास्तविक मुद्दों और जमीनी हकीकत से इनका कोई लेना-देना नहीं है। जय हिन्द... जय भारत।
No comments:
Post a Comment