आप पानी का बर्तन कब भरते है? जब वह खाली होता है.... भरे बर्तन में कोई भी व्यक्ति पानी नहीं भर पाता. साधना के उन्नत संस्कार भी खाली पड़े बर्तन में ही भरे जा सकते हैं. कोमल बाल्यावस्था में, आरंभिक शिक्षा के साथ ही परिपक्व मानसिकता हेतु, साधना को शिक्षा के क्रम में लेने से पुष्ट चरित्र के नागरिकों की कल्पना को साकार किया जा सकता है.
दुर्भाग्य से आरंभिक शिक्षा में, इस देश के बहुसंख्यकों को अथवा यूँ कहें कि मूल निवासियों को, पाठ्यक्रम में किसी भी प्रकार के धर्म ग्रंथ पढ़ाने की सख्त मनाही है. जबकि अल्पसंख्यक सम्प्रदायों को अपने स्कूलों में "बाइबिल" और "कुरान" आदि पढ़ाने का स्वतः अधिकार प्राप्त है. एक उच्च परिपक्व मानसिकता, विश्वव्यापी मानसिक स्तर, जो धार्मिक संकीर्णताओं से रहित है, उसे भी पढाने का हमे अधिकार, आरम्भिक कक्षाओं में नहीं है.
इसी के कारण राष्ट्र के नागरिक के चरित्र का अत्यधिक अवमूल्यन हो रहा है. परिपक्व मानसिकता के साथ ही प्रजातंत्र की कल्पना सार्थक हो सकती है. अपरिपक्व मानसिकता वाला व्यक्ति कभी भी मानवीय मूल्यों को तिलांजली देकर, पशुवत अथवा पिशाच की भांति आचरण कर सकता है. ऐसे व्यक्तियों के समूहों के साथ प्रजातंत्र अर्थहीन हो जाता है......
इसी के कारण राष्ट्र के नागरिक के चरित्र का अत्यधिक अवमूल्यन हो रहा है. परिपक्व मानसिकता के साथ ही प्रजातंत्र की कल्पना सार्थक हो सकती है. अपरिपक्व मानसिकता वाला व्यक्ति कभी भी मानवीय मूल्यों को तिलांजली देकर, पशुवत अथवा पिशाच की भांति आचरण कर सकता है. ऐसे व्यक्तियों के समूहों के साथ प्रजातंत्र अर्थहीन हो जाता है......